Mahakumbh 2025: नागा साधु खुद करते हैं अपना अंतिम संस्कार, फिर जो होता है...

जब बात नागा साधुओं की होती है, तो उनके अंतिम संस्कार को लेकर कई सवाल होते हैं।

क्योंकि इन साधुओं का जीवन शिव के मार्ग पर चलता है और इनका लक्ष्य मुक्ति प्राप्त करना होता है। नागा साधु अपनी मृत्यु के बाद क्या करते हैं, यह सवाल अक्सर लोगों के मन में उठता है।

नागा साधु अपने जीवन में शिव के साथ मिलकर जीते हैं और मरने के बाद भी उन्हें जलाया नहीं जाता। इन साधुओं का अंतिम संस्कार या तो जल समाधि से किया जाता है या फिर भू-समाधि दी जाती है।

जूना अखाड़े के श्री वैभव गिरी ने इस विषय पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नागा साधु अपनी मौत के बाद जल समाधि या भू-समाधि लेने का चुनाव करते हैं। 

नागा साधु का अंतिम संस्कार बहुत खास तरीके से किया जाता है। मृत्यु के बाद, नागा साधु के शरीर पर 17 शृंगार किए जाते हैं। इनमें कुछ ऐसे शृंगार होते हैं जो उनके जीवन में किए गए 21 शृंगार से अलग होते हैं। 

21 शृंगार में प्रवचन और मधुर वाणी भी शामिल होते हैं, लेकिन मृत्यु के समय ये शृंगार नहीं होते। मृत्यु के शृंगार में केवल भभूत, चंदन, रुद्राक्ष, तिलक, सूरमा, कड़ा, चिमटा, डमरू, कमंडल, जटा, लंगोट, अंगूठी, रोली और 

इन शृंगारों के बाद, नागा साधु को सिंहासन पर बैठाया जाता है। चूंकि मृत शरीर बैठने में कठिनाई होती है, इसलिए उन्हें सिंहासन से बांध दिया जाता है। उसके बाद, उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी होती है और उन्हें जल समाधि या भू-समाधि दी जाती है।

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